ना चाहिए उपहार मुझे
ना चाहिए उपहार मुझे
ना चाहिये उपहार मुझे,बीर एक कहण पुगाईये ।
जब जरूरत हो मुझे, बस खड़ा बराबर पाईये।
ना आईये तु जल्दी जल्दी, बस त्योहार पे पहुँच जाईये ।
भात ,छूछक में वक्त पे आके, मेरा मान बढाईये ।
ना चाहिए मुझे पैसे-वैसे,आऊँ तब मुंह ना फुलाईये ।
रोज रोज का मैं ना कहती, साल मै एक बार बुलाईये ।
देण लेण ये दुश्मन हो गया, रिश्ता दिल से निभाईये ।
एक रूपया बहुत बढा है, कर्जा सिर ना चढ़ाईये ।
छूछक मेरा लेके आईये, खुशी से गुड़ बंटाईये ।
गहने वहने मुझे ना चहिये,, बस मेरा पीळिया लाईये ।
भाणजे भाणजी का ब्याह रचाऊं,तु खुशी से नाचता आईये ।
सास नणद का मान राखिये, दिल ना उनका दुखाईये ।
भात नयुंदण जब मैं आऊँ, भेली मेरी धरवाईये ।
सारे कुणबे को लेके आईये, चूंदड़ी मुझे उढ़ाईये ।