एम के कागदाना
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खुले आसमां को झांकना चाहती हूँ
पेड़ के पत्तों को निहारना चाहती हूँ,
पेड़ की शाखा सी मजबूती चाहती हूँ
पत्तों की मानिंद हवा खाना चाहती हूँ,
पक्षियों के जैसे चहचहाना चाहती हूँ
माँ तुम पेड़ बन मजबूती दोगी न मुझे!
ना चाहिए उपहा...
मैं ढूंढना चा...
औरतें
उड़ना चाहूँ
अपवित्र औरतें
त्यौहार किसी ...
कल क्या बदलेग...