यादों की कोठरी
यादों की कोठरी
गर यादों की कोठरी मैं खुली छोड़ आया कभी
कुछ पल हैं जो मेरे आज को तबाह कर बैठेंगे
मुझसे बावस्ता कई जिंदगियां भी हिल जाएंगी
सूख चुके ज़ख्मी ज़हन में जहर हम भर बैठेंगे।
गर यादों की कोठरी मैं खुली छोड़ आया कभी
कुछ पल हैं जो मेरे आज को तबाह कर बैठेंगे
मुझसे बावस्ता कई जिंदगियां भी हिल जाएंगी
सूख चुके ज़ख्मी ज़हन में जहर हम भर बैठेंगे।