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Sonam Kewat

Tragedy

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Sonam Kewat

Tragedy

टिक टॉक और पबजी

टिक टॉक और पबजी

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हर कोई मोबाइल फोन का दीवाना है,

ये टिक टॉक और पबजी का जमाना है।


पहले परिवार को नजरअंदाज करते हैं,

और सोशल मीडिया पर दोस्त बनाते हैं।

फिर दोनों को ही नजरअंदाज करके,

पब्जी और टिक टॉक पर नाम कमाते हैं।


वक्त भी नही रहा जब लोग सुबह उठकर,

सूरज के या माँ- बाप के दर्शन करते हैं।

अब दिन की शुरुआत मोबाइल है और,

देर रात भी मोबाइल पर खत्म करते है।


मोबाइल से दूरियों को कम करना था पर

रिश्तों में इसीने सारी दूरियां बढ़ाई है।

अब कामयाबी मेहनत की नहीं चाहिए,

हर किसी को स्टार बनने की लत छाईं है।


अब हर शाम युवकों का इकट्ठा होना,

खेलकूद नहीं बल्कि पब्जी का आना है।

इस एक गेम के खातिर जाने क्यों,

इन्हें अपना कीमती वक्त भी गवाना है।


बाकी छोड़ो गांवों में भी टिक टॉक के,

मशहूर किस्से देखने को मिल रहे हैं।

कुछ एकाध को देखकर अब तो यहाँ,

हर एक इसी के रास्ते पर चल रहे हैं।


यह पीढ़ी तो सिर्फ गुमनाम हो रही है,

इन्हें रास्ता जाने कौन दिखाएगा?

वर्तमान की तो किसी को पड़ी ही नहीं

फिर भविष्य का नजरिया कैसे आएगा?


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