कुछ लम्हों की बात थी
कुछ लम्हों की बात थी
कुछ लम्हों की बात थी
जो गमों में बदल गई,
अभी चांदनी रात थी
दिन चढ़ा और शाम ढल गई।
कुछ लम्हों की बात थी
जो गमों में बदल गई
वो आखिरी मुलाकात थी
ना वो गलत ना मैं सही।
कुछ लम्हों की बात थी,
जो गमों में बदल गई।