मुकाम कुछ तो पाना है
मुकाम कुछ तो पाना है
मुकाम कुछ तो पाना है
बलिदानों का कर्ज़ चुकाना है।
यह मौका जो मिला है -
बार बार न आएगा,
एक ही जिन्दगी में सब कुछ कर जाना है।
मुकाम कुछ तो पाना है।
आए थे आखों में सपने सजाए,
कुछ करने का दृढ़ निश्चय बनाए।
गिरे, उठे, फिर गिरे फिर उठे -
उम्र भर बस यही करते जाना है।
मुकाम कुछ तो पाना है।
लहराता तिरंगा देख, मेरे मन में भी उमंग उठे,
क्यों न करें कुछ सबसे अलग ?
क्यों दुर्गम परिस्थितियों के आगे झुकें ?
यही तिरंगा एक दिन हक़ से फहराना है।
करके पूर्ण समर्पण,
वतन पर अपने कुर्बान हो जाना है।
मुकाम कुछ तो पाना है।