"परशुराम जी की जय-जयकार"
"परशुराम जी की जय-जयकार"
शस्त्र ओर शास्त्र के वो जानकार
भगवान विष्णु के वो छठे अवतार
वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को ही
श्री जन्मदग्नि के घर लिया अवतार
जब धरा पर बढ़ गया अधर्म भार
चारो तरफ छा गया था,अंधकार
हस्त परशु लिए,आ गये,परशुराम
दुष्टों का किया उन्होंने काम तमाम
उनका जन्मोत्सव मनाते है,आज
आज भी वो पृथ्वी पर है,विद्यमान
हृदय से जो याद करे,पूरे करे काज
भव सागर मे वो तैरा देते है,जहाज
ब्राह्मण भोला है,पर आग का गोला है
जिसने छेड़ा,उसका बना दिया,अचार
परशुराम जी ने कहा,हो जाओ तैयार
हाथ मे ले तलवार,अधर्म पर करे,प्रहार
उनकी शिक्षा को ले,हम हृदय में उतार
शस्त्र ओर शास्त्र दोनो के बने,जानकर
बोलो परशुराम जी की जय-जयकार
हृदय से मिटेंगे सकल ही बुरे विचार
समर्थ गुरुदेव,महान तपस्वी हो आप
तीनों लोकों में होती है,जय-जयकार
आपको प्रणाम,वंदन,नमन,तारणहार
कलयुग से करो,बचाव,करो,उपकार