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RASHI SRIVASTAVA

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RASHI SRIVASTAVA

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महीयसी महादेवी

महीयसी महादेवी

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भावों का सागर जिनमें, संवेदनाएं झलकती हैं

आधुनिक मीरा का रूप, वो महादेवी महीयसी है।


फर्रुखाबाद में थीं जन्मी, प्राण त्यागे इलाहाबाद में

पद्म भूषण से सज्जित, पद्म विभूषण भी मिला बाद में।


छायावादी युग के चार, स्तंभों में से एक हैं वह

आधुनिक हिंदी की सबसे, सशक्त कवियत्री हैं वहII


दृढ़ता आक्रोश का संगम है, उनका व्यक्तित्व विलक्षण है।

जीवन एक सन्यांसिनी का, सादगी उनका आभूषण हैII


अद्भुत रचनाएं, निहार, रश्मि, नीरजा और हैं दीपशिखा

स्मृति की रेखाएं, सांध्यगीत, गिल्लू है और है यामाII


साहित्य अकादमी अनुदान और सेक्सरिया पुरस्कार मिला 

उनकी छवि में अध्यापक, कवि, समाजसेवी, कलाकार मिला।


शत शत नमन है शब्दों की, शिल्पकार को हम सब का

अद्वितीय प्रतिभा की धनी हैं, महीयसी महादेवी वर्मा।


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