फ़ितरती अक्स
फ़ितरती अक्स
ख्वाब कई देखते हैं, मुकम्मल किसका होता है?
हवा के रुख को मोड़ता वो पतंग किसका होता है?
जीतने की चाह में प्रहार किसका होता है?
रणभूमि में सूर्य सा चमकता वो तलवार किसका होता है?
भक्ति में सर्वस्व निछावर का अरमान किसका होता है?
माथे पे तिलक लगाकर सम्मान किसका होता है?
जीत का स्वाद चखना चाहता हूँ मैं भी मगर,
वो भूख जिंदा किस रात होता है?
मैं भी बन जाऊँ आरजू-ए-आजमाइश मगर,
वो फ़ितरती अक्स देखने में कैसा होता है?
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