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Amresh Kumar Akela

Tragedy

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Amresh Kumar Akela

Tragedy

आरजू-ए-दिल

आरजू-ए-दिल

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टूट जाऊँ इस कदर कि, 

हर कतरा फिर जुड़ने से कतराए। 


लुट जाऊँ इस कदर कि, 

ख्वाब भी जेहन में आने से घबराए। 


आरजू ना रहे किसी राह-ए-मुकम्मल की, 

हर राह में मैं खुदा को पा लूँ।


खुद को आजमाऊं इतना कि, 

खुश्बू बन हर साँस में घुल जाऊँ।


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धन्यवाद 😊


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