कहानी आँसुओं की
कहानी आँसुओं की


क्या हुआ अगर कोई लुत्फ़ नहीं बाकी मेरे ज़िंदगी में,
मेरे आँसुओं में कई कहानी छुपे हैं।
पाता हूँ बस उसे ही अपने आँसुओं के हर कतरे में,
एक उसके सिवा मेरे आँसुओं से कोई खेला भी
तो नहीं है।
ना चाहते हुए भी याद करता हूँ उसे बार-बार,
एक उसके सिवा कोई दूजा याद भी तो नहीं है।
ख़ुदा करे हर ख़ुशियाँ, हर ख़्वाब मुकम्मल हो उसके।
वो मुस्कुराते रहे हमेशा,
इसके सिवा मेरे दिल की कोई आरजू भी तो नहीं है।।
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