है लड़ाई कहीं दूर देश में
है लड़ाई कहीं दूर देश में
है लड़ाई कहीं दूर देश में
चीख-पुकार की गूंज यहाँ तक है।
सबल* कितने निष्ठुर* हैं
उनके ठहाकों की गूंज यहाँ तक है।।
वादा कर रहे थे जो
देंगे साथ आखिरी वक्त तक।
अब वक्त आन परी है तो
उनकी खर्राटे की गूंज यहां तक है।।
ऐसे में कोई कैसे बिश्वास करे,
सब मतलब के यार जो ठहरे।
टूटी घर के दरबार पे
बांहों में स्वजन की लाश* लिए
कौन किस से फरियाद करे।
कौन किस से फरियाद करे।।
है लड़ाई कहीं दूर देश में
चीख-पुकार की गूंज यहाँ तक है।।
सबल* - बलवान
निष्ठुर* - निर्दय, बेरहम
लाश* - Dead body