यह दीवाली ख़ास मनेगी
यह दीवाली ख़ास मनेगी
रंगों के पर्व होली से जगमगाती दीवाली आई,
महामारी ने दहशत के साथ सजगता भी खूब फैलाई।
अब छुटकी नियमित रूप से हाथ धुलना नहीं भूलती,
काकी भी दिये बेचकर सेनेटाइजर हाथ में मलती।
दीवाली के अवसर पर दीप शिखा जलाएंगे,
इक नए अंदाज़ में अपने त्यौहार मनाएँगे।
सामाजिक दूरी का पालन कर अंतरमन से जुड़ जाएँगे,
सारे एहतियात के साथ हम यह पावन पर्व मनाएँगे।
रंगोली में प्यार के रंग मिलाकर उसे शोभायमान बनाएँगे,
आकाश भी दीदार को तरशे ऐसे धरा को सजाएँगे।
तम कि घोर-कालिमा को इस बार भी हम हराएँगे ,
जगमग उजियारे की स्वर्ण लालिमा घर-घर में फिर से लाएँगे।
रामू काका फिक्र न करो, हम आप ही के दीये घर लाएँगे,
दादी को चीनी माल न भाए, हम माटी के दीप जलाएँगे।
दीवाली का हम भी मुहिम चलाएंगे,
योगी जी भी राम मंदिर को आप के दिये से सजाएँगे।
कोने-कोने में दीप शिखा जलेंगी,
मीत-प्रीत की रीत निभेगी ।
कोविड कहर के बावजूद भी,
यह दीवाली ख़ास मनेगी ।
