Adrish Srivastava

Classics Inspirational

4.9  

Adrish Srivastava

Classics Inspirational

दो दिन की जि़न्दगी

दो दिन की जि़न्दगी

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दो दिन की ज़िन्दगी है यारों,

क्या सही क्या गलत,

सब तो मिट जाना है,

लेकर प्रभू के पास नहीं जाना है‍।


‍‍‍पल-पल हंस लो,

अब खुशी का ना कोई ठिकाना है,

जो समय गया अब वापस ना आना है।


दो दिन की ज़िन्दगी है यारों,

खुल के जी लो, आगे अभी बहुत जाना है,

लौट कर न अब वापस आना है,

जो हो गया वो रह जाना है,

जो सोच में खो गया वो भूल जाना है।


दो दिन की ज़िन्दगी है यारों, अभी मजे़ कर लो

माटी से आए थे, माटी में मिल जाना है।


आखिरकार अंत मैं सभी को,

ऊपर खुदा के पास जाना है।।


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