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Anita Sudhir

Classics

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Anita Sudhir

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पाखंड

पाखंड

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सत्य वचन ये मानिये ,असली धन है ज्ञान।

लिप्त हुआ पाखंड यदि,होये गरल समान।।


देवि रूप में पूज के ,करें नारि अपमान।

कैसा ये पाखंड है ,बिसरे अर्थ महान।।


शीत लहर में मर गया ,भिक्षुक मंदिर द्वार।

मूरत पर गहने सजे ,.... पाखंडी संसार ।।


देख कमण्डल हस्त में ,चन्दन टीका माथ।

साधु वेश पाखंड जो, लिये नारी का साथ।।


लिये धर्म की आड़ वो,करते क्यों पाखंड।

कर्मों के इन फेर में ,....भोगे मानव दंड।।


मनुज ग्रसित पाखंड से ,लोभ रहा आधार ।

बनिये बगुला भगत नहीं,करिये शुद्ध विचार ।।


पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार

दूर करें पाखंड जो , मन हो एकाकार।।


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