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Anita Sudhir

Others

2.4  

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होलिका दहन

होलिका दहन

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प्रत्येक युग का सत्य ये कह गए ज्ञानी प्रज्ञ

होलिका की अग्नि समझ जीवन का यज्ञ।

होलिका प्रतीक अज्ञान अहंकार का

विनाश काल में बुद्धि विकार का।

प्रह्लाद रूप धरे निष्ठा विश्वास का

कालखंड का सत्य,भक्ति अरु आस का ।

होलिका दहन है,अंत राग द्वेष का

प्रतीक है परस्पर सौहार्द परिवेश का।

होलिका की अग्नि में डाल दे समिधा

अहम त्याग कर ,मिटा दे सारी दुविधा।

रक्षा कवच अब सत्कर्म का धारण कर

जीवन के यज्ञ में कर्म की आहुति भर। 

रंगोत्सव संदेश दे जीवन सृजन का 

फागुन है मास अब कष्ट हरण का। 

पलाश के वृक्ष में निवास देवता का

लाल चटक रंग है मन की सजीवता। 

टेसू के रंग से तन मन भिगो दो 

अबीर गुलाल से द्वेष को भुला दो ।

अब कहीं होलिका में घर न जले 

पलाश के रंग सा रक्त न बहे ।

पलाश के रंग सा रक्त न बहे...




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