संदेह
संदेह
सभी संभव
संभावनाओं के मध्य
एक छोटा शब्द !
संदेह , शक ,
और उससे उत्पन्न अंजाम!
प्रश्नचिन्ह बनाए
पल पल हंसाता
पल पल डराता
नजर आता है ।
मकड़जाल में जकड़कर
जीवन के हसीन पलों को
अपनी गिरफ्त में लिए
ये शब्द अपना अस्तित्व
बचा जाता है ।
क्या होगा इसका अंजाम ,
परिणाम के पहले संदेह!
भविष्य के गर्भ में क्या छुपा
ये सतत मानसिक संतुलन
बिगाड़ अपनी जीत का
जश्न मनाता है ।
अंजाम की मत करो फिकर
संदेह की नहीं अगर मगर
जो निर्णय लो ,अडिग हो
उसे सत्य ,सही सिद्ध करो
कर्तव्यनिष्ठा ईमानदारी से
सजग हो कर्म करो
केवल कर्म करो ।
एक बात तो तय है
जो भी होगा अंजाम
ये कुछ दे जाएगा
सफल हुए तो लगन
अंजाम गर गलत हुआ
तो जीवन का पाठ सिखा जाएगा,
अंजाम कुछ दे कर ही जायेगा
संदेह से सब बिखर जाएगा ।
