STORYMIRROR

Anita Sudhir

Tragedy

3  

Anita Sudhir

Tragedy

दोहा छन्द गीतिका

दोहा छन्द गीतिका

1 min
284


घात लगाकर दे गए, आतंकी आघात।

एक वर्ष अब बीतता,ह्रदय व्यथित दिन रात।


ओढ़ तिरंगा सो गए , पुलवामा के वीर ।

आँखे नम अब याद में,द्रवित मातु अरु तात।


आयी थी विपदा बड़ी,किया शत्रु को खाक,

बदला रिपु से ले लिया,उसकी क्या औकात।


व्यर्थ न होगा साथियों,ये अनमिट बलिदान,

वादा करते हम सदा ,अरि को देंगे मात।


वीर शहीदों का लहू ,कहता बारम्बार,

नाश करो अब शत्रु का ,करता वो उत्पात।


कोटि कोटि उनको नमन ,जिनके तुम हो लाल ,

अर्पित श्रद्धा सुमन ये ,नहीं सहेंगें घात।


परिभाषित कर प्रेम को,गाथा लिखी महान ,

प्रेम दिवस अब है अमर,वीर हुये विख्यात।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy