STORYMIRROR

Gautam Kothari

Tragedy

4  

Gautam Kothari

Tragedy

हर शख़्श आज नकाब में नज़र आता है

हर शख़्श आज नकाब में नज़र आता है

1 min
318


आज हर शख्श दुनिया का

नक़ाब में नज़र आता है

उसकी हरकतें को देख़ 

नक़ाब भी शरमाता है


बड़े चातुर्य से मानव 

मानव को भरमाता है

आज गिरिगिट छलावा में 

मानव के पीछे रह जाता है


एक समय रंग बदलना 

मनोरंजन की कला थी, 

जो मानव रूप बदलके 

विदूषक बन के निभाता था


आज लोगो को लूटने का 

दुष्कर्मी दूषण बन गया है

जो मानव के संस्कार छोड़ 

नीच दुर्जन बनकर रचाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy