आत्मज्ञान की यात्रा [[भाग-12]]
आत्मज्ञान की यात्रा [[भाग-12]]
आपकी लक्ष्मी आपके पास है।
उसका सम्मान एवं प्रतिष्ठा ही
सुख संपत्ति दायक है।
यदि उसका सहयोग ,
प्रेमपूर्वक अभिवादन तथा
परस्पर तालमेल से
ही लक्ष्मी की कृपा ,
धरती ही स्वर्ग जैसी सुखदायक,
जीवन में सफलता
स्वंयमेव सिद्ध हो जाएगी।
उसका साथ ही मूर्तिमती लक्ष्मी का स्वागत है।
कौन है वो जो ऋद्धि सिद्धि का
रुप धारकर हमेशा आपके साथ है????
सुनें ... यदि आप ब्रह्मचारी हैं
तो गुरुप्रदत्त विद्या वही है ।
संन्यासी हैं तो ब्रह्मविद्या वही है।
गृहस्थी हैं तो आपकी अर्धांगिनी
गृहलक्ष्मी ही सौभाग्यलक्ष्मी है
वह यदि सिद्ध (संतुष्ट) हो जाए
तो जीवन सफल होगा।
अत: विषमताओं को संतुलित करें और
दीपावली पर्व पर सुख की
मूलभूत विद्या को साधें ।
सच्चे साधक बनें ।