आत्मज्ञान की यात्रा[[भाग-11]]
आत्मज्ञान की यात्रा[[भाग-11]]
[[ समय नहीं बीत रहा हम ही बीत रहें हैं!! ]]
कालो न यातो वयमेव याताः
भोगाः न भुक्ताः वयमेव भुक्ताः
समय नहीं बीत रहा हम ही बीत रहें हैं....
समय तो अखण्ड है ...
कलोस्मि लोकक्षयकृतप्रवृद्धः....
अब नहीं तो कब चेतोगे.....
अपने हित के लिए तुम्हें ही जागना होगा ....
किसी ओर के जागने से नहीं होगा....
ये तुम्हारा व्यक्तिगत स्वार्थ है......
पाप के आगमनों को रोको ......
कृत के लिए प्रायश्चित और
न करने की भीष्म प्रतिज्ञा.....
उपासना में पदार्पण.....
फिर देखो नया साल का सौन्दर्य......
शुभमस्तु कल्याणम्.....