जिंदगी का सफर।
जिंदगी का सफर।
कहां जाएं अब, यह रास्ता खत्म होने को है आया ,
ना मनचाही मंजिल मिली,
ना कोई मुकाम हासिल हो पाया ,
वापस लौटना भी आसान कहां ,
घेरे डालता है बीते वक्त का साया ,
कुछ मंजिले मिली थी राह पर ,
और पाने की चाहत में वहां करार कहां आया,
साथियों की कोई कमी नहीं होती अनजाने रास्तों पर ,
पर आखिर तक कहां कोई ठहर है पाया ,
अब तो बस दो कदम की दूरी है,
मौत को गले लगाने के लिए,
आखिरकार है तो यह जिंदगी ही,
जहां हमेशा के लिए कौन जी है पाया।