आख़री मुलाकात।
आख़री मुलाकात।
काफी सालों बाद फिर एक मुलाकात हुई,
हां, यह दूसरी मुलाकात हुई,
मिलने आए थे वह बड़ी दूर से,
पर किस्मत देखो हमारी ,हमसे नहीं किसी और से,
होंठ खामोश रहे पर आंखें बोलती रही,
थोड़ा सा प्यार कहीं तो बाकी था उसकी आंखों में,
बस में वह ढूंढती रही ,
उस रात बैठे हम दोनों जगते रहे ,
वह हमें और हम उन्हें ताकते रहे ,
कब टूटेगी ये खामोशी, दोनों के मन में यही सवाल था,
आ जाए कोई तूफान या हो जाए कोई बेमौसमी बारिश, दोनों का बस यही अरमान था ,
खोने लगे दोनों past के अंधेरों में,
खुशियों से बीते लम्हों में ,
गलतियों से बिछड़े वक्त में ,
कुछ जगह में गलत थी तो कहीं वह सही नहीं था,
फिर से हो एक नहीं शुरुआत,
दोनों में से कोई राजी नहीं था ,
बीत गई वो रात ,सूरज की दस्तक हुई ,
काफी सालों बाद फिर एक मुलाकात हुई,
हां यह आखिरी मुलाकात हुई।