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saher Dhimaan

Abstract

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saher Dhimaan

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पैसा।

पैसा।

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किरदार अच्छा ही नहीं, बुरा भी देखा है,

बदलता हर रिश्ता, हमने बड़ी गौर से देखा है,

इस मतलबी दुनिया में, पैसा हर रिश्ते से ऊंचा देखा है,

भाई, बहन, यार दोस्त क्या, मां बाप भी पैसों का भूखा देखा है,


बाज़ारों में बिकते झूठ और सच को खरीदते देखा है,

मैंने छोटी सी उम्र में बड़ा कुछ होता देखा है,

लाखों करोड़ों तो छोड़िए जनाब, लोगों को हजार रुपए के लिए भी बिकता देखा है,

कुछ खून के रिश्ते भी पानी के हुए देखे हैं,


कुछ मस्त है अपनी जिंदगी में, फर्क नहीं पड़ता कोई जीएं यां मरे,

और कुछ लोगों को किसी के लिए जान देते भी देखा है,

ये दुनिया जो कभी प्यार, इज्जत, ईमानदारी से जानी जाती थी,

उसे अब मतलबी, बेईमानी, नफ़रत से भरा देखा है,


मैंने छोटी सी उम्र में बड़ा कुछ देखा है,

इस मतलबी दुनिया में, पैसा हर रिश्ते से ऊंचा देखा है।


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