चांद जब भी कभी
चांद जब भी कभी
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तंग सकरी गली दोनों तरफ घर बहुत रहते हैं।
अंधेरे लाख हो पर उन घरों में लोग रहते हैं।
बात किस्मत की है कुछ लोग पले महलों में।
अंधेरे घरों में किस्मत के मारे लोग रहते हैं।
चांद जब कभी इन अंधेरी गलियों में आता है ।
रुपहले नजारे इस गली के कुछ और होते हैं।
नहीं खतरा है इन गलियों में बूढ़े और बच्चों से।
गली में देर रातों तक जागते लोग रहते हैं।
हमें खतरा है महलों के उन सुनसान रास्तों से।
जहां फैला है सन्नाटा वहां कम लोग रहते हैं।