रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो
बड़े नाज़ से पाला था हमने तेरा प्यार दिल में मगर तुम तो बड़े हरजाई निकले, लाख अरमानों स बड़े नाज़ से पाला था हमने तेरा प्यार दिल में मगर तुम तो बड़े हरजाई निकले, ...
जिसे मिला था सड़क किनारे उसकी देह मुरझा गई थी, दर्द से कराह रहे थे , खून से कप जिसे मिला था सड़क किनारे उसकी देह मुरझा गई थी, दर्द से कराह रहे थ...
आंगन आपके ही जन्मी, मैंने भी दादी संग तुलसी को सींचा था, जब जब बीमार पड़े थे बाबा आंगन आपके ही जन्मी, मैंने भी दादी संग तुलसी को सींचा था, जब जब बीमार...