क्या है मेरा जुर्म
क्या है मेरा जुर्म
जिसे मिला था
सड़क किनारे
उसकी देह
मुरझा गई थी,
दर्द से कराह रहे थे ,
खून से कपड़ा
भींग गया था ,
देह में उसकी,
यहाँ- वहाँ चोट का
निशान था ,
उसे देखकर
मेरे आँसू निकल आये थे ,
खड़ा नहीं हो पाया
भागना चाहा था वहाँ से ,
इतने में
अस्पष्ट स्वर में सुनाई दिया ,
"भाई मुझे बचा लो"
कदम मेरे रुक गये
धर्म की बातों को याद किया
और उसे लेकर गया
अस्पताल l
चलो तुम ही कहो
मुझसे क्या भूल हुई ?
मेरा जुर्म क्या है ?
अर्धरात्रि के समय
जब पूरी दुनिया
नींद की दुनिया में सोती है
ठीक वैसे ही समय
हमारे 'टाटी सिलपिन्ज' में दस्तक हुई ,
दरवाजा धकेलने की आवाज बढ़ने लगी ,
कान में बहुत बुरा सुनाई दिया ,
नींद मेरा टूट गई,
देखा काला और हरा कपड़ा पहने
दो- चार लोगों को ,
जो बोले मुझसे
चलो हमारे साथ ,
तुम माओवादी हो,
कल लैंड माईन की विस्फोट कर
ग्यारह जन पुलिस की हत्या किए हो l
हाय रे मेरी किस्मत ,
आज तक माओवादी ही न देख पाया
और इधर मैं बड़ा माओवादी हूँ
यह मुझे ही मालूम न हुआ l
जेल से कल ही आया हूँ
अदालत की विचार से ,
बेगुनाह साबित हुआ हैl