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Chandramohan Kisku

Tragedy

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Chandramohan Kisku

Tragedy

क्या है मेरा जुर्म

क्या है मेरा जुर्म

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जिसे मिला था 

सड़क किनारे 

उसकी देह 

मुरझा गई थी, 

दर्द से कराह रहे थे ,

खून से कपड़ा 

भींग गया था ,

देह में उसकी,

यहाँ- वहाँ चोट का 

निशान था ,

उसे देखकर 

मेरे आँसू निकल आये थे ,

खड़ा नहीं हो पाया 

भागना चाहा था वहाँ से ,

इतने में

अस्पष्ट स्वर में सुनाई दिया ,

"भाई मुझे बचा लो"

कदम मेरे रुक गये 

धर्म की बातों को याद किया 

और उसे लेकर गया 

अस्पताल l


चलो तुम ही कहो 

मुझसे क्या भूल हुई ?

मेरा जुर्म क्या है ?

अर्धरात्रि के समय 

जब पूरी दुनिया 

नींद की दुनिया में सोती है 

ठीक वैसे ही समय 

हमारे 'टाटी सिलपिन्ज' में दस्तक हुई ,

दरवाजा धकेलने की आवाज बढ़ने लगी ,

कान में बहुत बुरा सुनाई दिया ,

नींद मेरा टूट गई,  

देखा काला और हरा कपड़ा पहने 

दो- चार लोगों को ,

जो बोले मुझसे

चलो हमारे साथ ,

तुम माओवादी हो,

कल लैंड माईन की विस्फोट कर

ग्यारह जन पुलिस की हत्या किए हो l

हाय रे मेरी किस्मत ,

आज तक माओवादी ही न देख पाया 

और इधर मैं बड़ा माओवादी हूँ 

यह मुझे ही मालूम न हुआ l


जेल से कल ही आया हूँ 

अदालत की विचार से ,

बेगुनाह साबित हुआ हैl



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