लिखूंगी
लिखूंगी
मैं लिखूंगी
हाथ में कलम रहने तक
और हाथ में कलम चलाने
की शक्ति रहने तक।
मैं लिखूंगी
लिखते ही रहूंगी
आदि सृजन से
प्रलय तक की कथा
धरती से आकाश
तक की कथा
इस छोर से उस छोर तक की कथा।
मैं लिखूंगी
अपने ऊपर
तुम्हारे बुरे व्यवहार
नियम- धरम की कथा
चाहे तुम कुछ भी कहो
मारो या पिटो
चाहे हाथ से कलम
छीनने की चेष्टा करो।
पर जब देह में
रहेगा शक्ति
और स्मरण होगा
तुम्हारा अत्याचार।
मैं लिखते जाउंगी
मेरी कष्ट और दर्द को
और तुम्हारा बुरा अत्याचार।