तुम और मैं
तुम और मैं
तुम्हारे आसमान पर
ठंडी स्निग्ध पूर्णिमा की प्रकाश
मेरी आसमान पर
पुआल की झोपड़ी और घना अँधेरा
तुम्हारी आँखों में
मीठी सपनों की मेला
मेरी आँखों में
डस्टबीन की अवशिष्ट भोजन
और आँखों में आँसू!
तुम ख़ुशी से
खिलौना तोड़ते हो
मेरा तो गुस्से से
पीठ की चमड़ी उधड़ते हैं
तुम्हे भोजन
रुचता नहीं और
मेरा पेट में
आग जल रहा है
तुम्हारे पथ पर
फूल बिछे रहते हैं
और मेरा पैर में तो
काँटे चुभते हैं !