प्यार का घर
प्यार का घर
प्यार का घर
एक टुकड़ा जमीन के ऊपर
मिट्टी से या तो ईंट से ही
चार दिवार खड़ा करने से
नहीं बनेगा।
प्यार की रहने की जगह
बारह तल्ला पक्का
मकान नहीं है
सात दरवाजे वाला
राज प्रासाद भी नहीं है।
प्यार तो रहता है
मनुष्य की हृदय में
चाहे वह पक्के घर में रहे
या पुआल की झोपड़ी में ही।
धान- चावल ,रूपया - पैसा तो
देने से घटता है
प्यार के जैसी संपत्ति
कितने भी दान करो
बढ़ते ही रहेगा
प्यार की गुदाम।

