हसरतें
हसरतें
दिल से जाती नहीं तुम्हारी याद ऐसी
गुज़ारा मुश्किल है तन्हाई ये कैसी
तुम जफ़ा हो तुम्हें मालूम नहीं
दिल टूटने की कभी
आवाज़ आती ही नहीं
वफ़ा का सिला तुम उनको दे देना
जो बेज़ुबान हैं कुछ कह पाते हीं नहीं
अब तो दुनिया से प्यार जाता रहा
आने को कुछ नहीं है
लौटकर हसरतें आती ही नहीं
हमारे सीने में भी दिल धड़कता है
रोज़ मरने की वह ताकीद करता है
तुम्हारे ग़म अब तो सहे जाते ही नहीं
मेरी इक आवाज़ पर लौट कर आ जाओ
तन्हा हमारा वक्त गुज़रता ही नहीं
तुम्हारी बेवफ़ाई का हमें मलाल नहीं
तन्हा तुम ही नहीं हो जो
रखे ख़्याल ही नहीं
ज़रूरत पड़ेगी तुम पर
जब होंगे ख़्याल में हम ही
जब पूरा कर लेंगे इंतक़ाम
अगर ये है तो यूँ हीं सही
प्यार सबको सुकून देता है
मेरे प्यार को भी तुम आज़माना
पूरे जीवन में चाहे एक बार ही सही।