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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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योजनाएं और पत्र

योजनाएं और पत्र

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लाख योजनाएं बना लीं हमने, पर कार्यान्वयन किया नहीं

ये तो हो गया है वैसा ही,पत्र लिखे पर भेजा उनको कभी नहीं।


बड़ी योजनाएं हैं बनी हमारी में,क्यों नहीं अभीष्ट फलकारी हैं

ईमानदारी का भाव है गायब, सारी योजनाएं निष्प्रभावकारी हैं।

जिक्र जुबां तक सीमित रहता,इसकी परिणति विस्मयकारी है

भूताप भ्रष्टाचार बढ़ रहा, प्रदूषण प्रतिक्षण विप्लवकारी है।

स्वयं कदम न कोई उठाता,मेरी नहीं ये तो तेरी बारी है

सदा टाल दी दूजे के सिर, दायित्व निर्वहन किया नहीं।

लाख योजनाएं बना लीं हमने


कार्य सिद्ध होते उद्यम से, मात्र मनोरथ से कभी नहीं

 हर योजना की करें समीक्षा, निर्णय लेवें सदा सही।

शुरू काम करें सदा समय से, सदा सततता दिशा सही

नहीं सफलता मिले अपेक्षित, देखें क्या है सही नहीं।

कार्ययोजना हम ठोस बनाएं, चूक न होने पाएं कहीं

लाख योजनाएं बना लीं हमने…


लिखे पत्र को भेजेंंगे ना हम , मंजिल समय पर कैसे वह पाए

नियोजन कार्यान्वित नहीं किया तो, लक्ष्य हमें कैसे मिल जाए ?

समाधान हर प्रश्न का मुमकिन,अगर नियोजित कार्य सही

निश्चित रूप से मिले सफलता, अगर-मगर का कोई प्रश्न नहीं।

सभी समस्याएं हल होंगी, असफलता का कोई नाम नहीं।

लाख योजनाएं बना लीं हमने।


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