रिश्ता
रिश्ता
तुमने पेड़ देखा है
पेड़ की शाखाएं
ये हर आते जाते पंछियों
को आसरा देती है
बदले में उन्हें क्या मिलेगा, बिना पूछे।
ये आसरा देते हुए ये
प्रेममय होते है इतना
जैसे कोई प्रेयसी
जिसके होंठों पर
प्रेम मिलन
के गीत हो और ये
उम्र भर उनकी
जुबां पर होगें।
मन भर ठहरकर
विदाई पर ,उड़ते
हुए कई कई बार
पेड़ को मुड़कर देखते है
जैसे कोई जरूरी समान
वहां छोड़ चुके हो।
पंछियों का पेड़ के साथ के
रिश्ते का, कोई किताब,
कोई कवि व्याख्या
नहीं कर पाता
न ही इतिहास के पन्नों में ये
किसी नाम से दर्ज किया गया
अनकहा रिश्ता है ये
बिल्कुल मेरे तुम्हारे प्रेम सा।