उस दिन जब
उस दिन जब
उस दिन जब
मन सपने बुनने
का कारिगर न रहे।
हिम्मत की तुरपाई
उधड़ जाएं ।
जोश बेस्वाद हो जाये
ज़ुबाँ नमक से भी ज्यादा
खारी हो जाये।
और ज़मीं आसमां से भी
बड़ी लगे।
समझ लेना तब विकलांगता
आ गई है तुम्हें
अंगो का न होना
कोई विकलांगता नहीं।