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Neelam Chawla

Abstract

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Neelam Chawla

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उस दिन जब

उस दिन जब

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उस दिन जब

 मन सपने बुनने 

 का कारिगर न रहे।

 हिम्मत की तुरपाई 

 उधड़ जाएं ।

 जोश बेस्वाद हो जाये

 ज़ुबाँ नमक से भी ज्यादा    

खारी हो जाये।

 और ज़मीं आसमां से भी       

बड़ी लगे।


 समझ लेना तब विकलांगता 

 आ गई है तुम्हें 

 अंगो का न होना

 कोई विकलांगता नहीं।



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