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Neelam Chawla

Abstract

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Neelam Chawla

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यादें

यादें

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देकर यादों के बस्ते 

आँखों पर कोई बोझ सा रखा है

आँखे बोझिल हैं जरूर

पर नींद आती नहीं।


दिल की दीवार पर 

कई छेद हुए यादों से

फिर

तेरा आना

मरहम बना 

और शब्द तुम्हारे, 

जैसे गर्मी की

लू में कोयल

की कूक ।


यकीन करो,

याद तीखी मिर्ची सी होती है 

शक्कर की तलब भी होती है 

मुझे तुम्हारा इन्तज़ार है भी 

और नहीं भी।


प्यार एक तरफा रहे तो बेहतर है

दो लोग मिलकर ताना बाना उलझाते हैं

अलग अलग कोनो में रहकर ,

स्वर पेटी के अंदर स्वर रज्जु में होते कम्पन से

हवा के भिन्न-भिन्न तरंगो से

मन के भ्रमित होने से

अति आशा मे

प्यार का कच्चा सूत 

उलझा ही 

रहता है


तेरी याद पलकों पर ठहरी है

और आंखो की नाव में तस्वीर है तुम्हारी।


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