पुरुष जो स्त्री हो गया
पुरुष जो स्त्री हो गया
वो रोया
बहुत रोया
और रोते रोते बोला
मुझे लगा ये प्रेम
जन्मों जन्मों तक का है।
वो रोया
बहुत रोया
फिर गिड़गिड़ाते हुए बोला
तुम मुझे छोडकर न जाओ,
सामने खामोश खड़ी स्त्री
अपने पलायन हुए प्रेम को
विदा कर रही थी।
उसने जमीन में मन्नतो के बीज
बोये , दुआ की "वो लौट आए"
मन्दिर में देवता को मनाया
कि प्रेम ठहर जाए।
अब वो ,स्त्री हो चुका था प्रेम में।
वो 40 के पार था
पर 17 बरस का लडक़ा था
प्रेम में वो हाथ पर हाथ
रखकर बोला
ठहर नहीं सकती कुछ ओर देर?
स्त्री की निगाह आसमान में छाए
अंधेरे में कोई रोशनी ढूंढ रही थी ।