Neelam Chawla
Abstract
हमने कई कवितायेँ
हाथों में पकड़ी
माथे पर पकड़ी
पर दिल पर न रख सके।
और जो कविताऍं दिल पर
रखी गई
वो खुद ब खुद
माथे और हाथो में ठहर गई।
रखी गई कविता
यादें
हरी रंग की मु...
उस दिन जब
हुंकार
नापसंद
प्रेम
लाकॅ डाऊन
पुरुष जो स्त...
मेरी चिड़िया
जो लोग तुम्हें लाक्षाग्रह की अग्नि में जलाना चाहते हैं जो लोग तुम्हें लाक्षाग्रह की अग्नि में जलाना चाहते हैं
सूरज की सूरजमुखी हूँ मैं , मैं वो आग भी और राख भी, सूरज की सूरजमुखी हूँ मैं , मैं वो आग भी और राख भी,
क्यों अकेले सड़क पर चलने से मन घबराता है, क्यों अपने दिल की बात करने में हौसला कतराता क्यों अकेले सड़क पर चलने से मन घबराता है, क्यों अपने दिल की बात करने में हौसल...
हर रूह पर एक लिबास है, ये सब जानते हैं, उतार उसे चले भी जाना है, ये सब जानते हैं, हर रूह पर एक लिबास है, ये सब जानते हैं, उतार उसे चले भी जाना है, ये सब जानते ...
घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है
ब्रम्हांड भले ही नर हुआ उसी की धरती नारी है ब्रम्हांड भले ही नर हुआ उसी की धरती नारी है
बज रही हर तरफ प्रेम धुन रागिनी, बादलों के रथ पर आई सवार चांदनी। बज रही हर तरफ प्रेम धुन रागिनी, बादलों के रथ पर आई सवार चांदनी।
हमेशा स्त्रियों को ही प्रेम के लिए तरसते देखा हमेशा स्त्रियों को ही प्रेम के लिए तरसते देखा
भीख मांगती आगे बढ़ी, माता के दर्शन करने, हौसला उसका बुलंद, भीख मांगती आगे बढ़ी, माता के दर्शन करने, हौसला उसका बुलंद,
ख़्वाब मेरे शीशे के ही सही, पर तस्वीर तेरी मिटती नहीं है! ख़्वाब मेरे शीशे के ही सही, पर तस्वीर तेरी मिटती नहीं है!
प्रेम का रोग ऐसा लगा दीवानी हुई मीरा रानी प्रेम का रोग ऐसा लगा दीवानी हुई मीरा रानी
पूछ रहे हैं शुभचिंतक मेरे, क्यों लिखती हो तुम कविता! पूछ रहे हैं शुभचिंतक मेरे, क्यों लिखती हो तुम कविता!
जब सब को है हिंद से प्यार तो क्यूँ नहीं हिंदी से प्यार ! जब सब को है हिंद से प्यार तो क्यूँ नहीं हिंदी से प्यार !
हिंदी साहित्य है, भाषा है एक सूत्र में बांधने वाली हिंदी प्रेमभाषा है! हिंदी साहित्य है, भाषा है एक सूत्र में बांधने वाली हिंदी प्रेमभाषा है!
रीति रिवाज़ों के नाम पर मुझपर पाबंदीयाँ लगाते हैं रीति रिवाज़ों के नाम पर मुझपर पाबंदीयाँ लगाते हैं
नशा खुशी का इतना चढ़े, कि याद ना आये ग़म नशा खुशी का इतना चढ़े, कि याद ना आये ग़म
सब को, सब कुछ कहां मिल पाता है? सब को, सब कुछ कहां मिल पाता है?
एक दिन के सम्मान से अच्छा, जाने राष्ट्रभाषा हर बच्चा। एक दिन के सम्मान से अच्छा, जाने राष्ट्रभाषा हर बच्चा।
तन्हाई के कुछ लम्हे अपने साथ गुज़ारिए ! तन्हाई के कुछ लम्हे अपने साथ गुज़ारिए !
माफी मै सबसे पहले मांगता हूँ अभी ! माफी मै सबसे पहले मांगता हूँ अभी !