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Neelam Chawla

Abstract

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Neelam Chawla

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रखी गई कविता

रखी गई कविता

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हमने कई कवितायेँ 

हाथों में पकड़ी

माथे पर पकड़ी

पर दिल पर न रख सके।


और जो कविताऍं दिल पर 

रखी गई

वो खुद ब खुद 

माथे और हाथो में ठहर गई।


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