लाकॅ डाऊन
लाकॅ डाऊन
भय पसरा है
देश में और हर देश की सरहदो पर
कोने कोने में छिपा है डर
डंका बजाओ,थाली बजाओ
थोड़ी देर को डर चलायमान होता है फिर कोई ऑकड़ा दहशत दिखाता है
किसी जिले के किसी नगर
के किसी कोने में बसे घर से
कोई कहानी हाथ पैरो में
सिहरन पैदा करती हैं
और रीढ की हड्डी को सुन्न कर देती हैं
दाएँ बाएँ, कैसा घेरा है
डर का
सुरक्षित हैं या असुरक्षित
कल ऑकङो में है या नहीं
ये बात तब मायने रखती हैं
जब अपनी जिम्मेदारी , अपने सर पर कफन
या पोटली सी रखते हैं
उस पार कुछ लोग
आइसोलेशन में डूब गए
लाशें भी अकेली ही रह गई।
कौन बताए, इनकी नसों मे
कितना डर बहा था
हम कमजोर नही हैं इस जंग मे
अकेले ही करनी पड़ेगी, हमको ये लड़ाई।
हाथ धोना ही इस डर का जवाब।