मेरी चिड़िया
मेरी चिड़िया
पहली बार मेरा हाथ छोड़
अकेले दुनियाँ में बिल्कुल वैसे ही
पैर रखेगी ,
जैसा बच्चा पहली बार
चलना सिखता है
तब
क्या रात अपना अंधेरा खुद
निगलकर, उसके लिए मुस्कुराएगी?
कभी जो डरी काले रंग से ,
क्या कोई फिर अपने
ऑचल में थपकी देकर सुरक्षित नींद देगी?
चलती फिरती सड़कें उसके लिए न रुके
पर क्या सड़कें उसकी खामोशी का
शोर सुन पाएँगी ?
कुछ भी हो मेरी गुड़िया
चलने को न मिले तो, पंख दिए है उड़ने को
सड़कों की परवाह न करना।
रात अंधेरा निगलना जो भूल जाएँ
तारों की रोशनी में रोशन रहना और
जुगनुओं के घर आना जाना।
मेरी बेटी, मेरी नन्ही,
ये तमाम मुश्किलात
ही अंधेरा को काटने का औजार है
और औजार कभी माँ के आँचल में नहीं मिलते।