समर्पण :कविता की
समर्पण :कविता की
चन्द्रमा पर
लिखी कविता
रात-रात भर जागकर
अकेले,चन्द्रमा को साक्षी रखकर
समर्पित किया वह कविता
लोगों के हाथों में
सुन्दर शबनम पर
लिखी कविता
एक-एक शब्द जोड़ -जोड़कर
समर्पित किया वह
फूलों के नाम
प्यार पर लिखी
प्यार की बातों से तैयार हुई
अतिसुन्दर एक कविता
समर्पित किया वह
तुम्हारी सागर जैसी
दो आँखों के नाम
समर्पण पूण्य काम है
पर उसे संभालना आसान नहीं।