हमने
हमने
दर्द को तेरे महसूस किया हैं हमने।
पर दर्द को तेरे ना समझा और ना ही अपना पाया उसे ।
जरूरतों को तेरी पूरी करने का वादा किया था हमने।
पर जरूरतों को ही नज़र अंदाज कर दिया हमने।
आंसुओं को ना बहाने का वादा किया था हमने।
पर वादा तो छोड़ो आँसुओं को भी कहाँ रोका हमने।
दोस्त बन के तुझे घुमाने का वादा किया था हमने।
पर दोस्ती तो छोड़ो, घुमाया ही कहाँ तुमको हमने।
प्यार बन के तुझे अपनों के साथ खुश रखने का वादा किया था हमने।
पर प्यार तो किया भी नहीं वादा ही कहाँ निभाया हमने।
हाथों को तेरे पकड़कर दूर चलने का वादा किया था हमने।
पर हाथों को पकड़ा ही नहीं और दूर चलने का वादा ही कहाँ निभाया हमने।
तेरी हर रातों और सुबह को खुशनुमा बनाने की कसम खाई थी हमने।
पर रातों को तो गुमनामी में डाली और सुबह को ही कहाँ खुशनुमा बनाया ही हमने।
तेरे चेहरे की रौनक और उसकी खुशबू को ना खत्म होने का तुझसे वादा किया था हमने।
पर रौनक को ना रोक सका और तेरी मीठी खुशबू को भी तुझसे ही छीन लिया हमने।
एक वादा जरूर करूंगा तुझसे की अब तेरी हर खुशी, जरूरतों और उम्मीदों को पूरा करूंगा।
और साथ में ही सफलता की हर सीढ़ी को चूमेंगे।
पर दोस्ती और साथ ना छोड़ना जीवन का।
बस ये ही कसम खाई हैं आज ऊपरवाले से हमने।