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Vandana Gupta

Romance

3  

Vandana Gupta

Romance

मेरे संवेदनहीन पिया

मेरे संवेदनहीन पिया

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मेरे संवेदनहीन पिया

दर्द के अहसास से विहीन पिया

दर्द की हर हद से गुज़र गया कोई

और तुम मुस्कुराकर निकल गए


कैसे घुट-घुटकर जीती हूँ मैं

ज़हर के घूँट पीती हूँ मैं

साथ होकर भी दूर हूँ मैं

ये कैसे बन गए ,जीवन पिया

मेरे संवेदनहीन पिया


जिस्मों की नजदीकियाँ

बनी तुम्हारी चाहत पिया

रूह की घुटती सांसों को

जिला न पाए कभी पिया

मेरे संवेदनहीन पिया


आँखों में ठहरी खामोशी को

कभी समझ न पाए पिया

लबों पर दफ़न लफ्जों को

कभी पढ़ न पाए पिया

ये कैसी निराली रीत है

ये कैसी अपनी प्रीत है

तुम न कभी जान पाए पिया

मेरे संवेदनहीन पिया


मैं सदियों से मिटती रही

बेनूर ज़िन्दगी जीती रही

बदरंग हो गए हर रंग पिया

मेरे संवेदनहीन पिया


आस का दीपक बुझा चुकी हूँ

अपने हाथों मिटा चुकी हूँ

अरमानों को कफ़न उढ़ा चुकी हूँ

नूर की इक बूँद की चाहत में

ख़ुद को भी मिटा चुकी हूँ

फिर भी न आए तुम पिया

कुछ भी न भाए तुम्हें पिया

कैसे तुम्हें पाऊँ पिया

कैसे अपना बनाऊं पिया

कहो, कौन सी जोत जगाऊँ पिया

ओह! मेरे संवेदनहीन पिया....



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