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Vandana Gupta

Romance Tragedy

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Vandana Gupta

Romance Tragedy

सावन को हरा कर जाये कोई

सावन को हरा कर जाये कोई

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कब तक जलाऊँ अश्कों को

भीगी रात के शाने पर 


सावन भी रीता बीत गया

अरमानों के मुहाने पर 


जब चोट के गहरे बादल से

बिजली सी कोई कड़कती है 


तब यादों के तूफानों की

झड़ी सी कोई लगती है


खाक हुई जाती है तब

मोहब्बत जो अपनी लगती है


कब तक धधकते सावन की

बेदर्द चिता जलाए कोई


रात की बेरहम किस्मत को

साँसों का कफ़न उढ़ाये कोई


उधार की सांसों का क़र्ज

हँसकर चुका तो दूँ मगर


इक कतरा अश्क

तो बहाए कोई


और बरसों से सूखे सावन 

को हरा कर जाये कोई



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