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monika kakodia

Romance

3  

monika kakodia

Romance

शहर

शहर

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मेरे शहर की ये बारिश और 

गुज़रे वक़्त की तेरी यादें

दोनों बेमौसम

दोनों बेमतलब

बरस जाती हैं।


चली आती हैं

भिगो देती हैं ज़िस्म मेरा

तर कर तेरी हैं रूह भी

ठहर जाती हूँ कहीं

सहम सी वहीं।


अपने ही ख़्यालों में उलझी

अपने ही सवालों में गुम

निखर आया है रंग बगीचे में

संवर आया है रूप

मेरे रुख़सारों पर।


खिड़की पर दस्तक देती 

ये बारिश 

धड़कनों को बढ़ाती 

तेरी यादें।


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