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monika kakodia

Others

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शाम का इंतिज़ार

शाम का इंतिज़ार

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शाम से इंतजार रहता है कि

ढल जाए ये सूरज

आएं चाँद सितारे ऊँचे नील गगन में

मिल जाएं फिर सारे

कुछ मुस्काते कुछ जगमगाते

जैसे टोली बनाये बैठे हों

कुछ नटखट करने को

हंसी ठिठोली दिनभर की

अठखेली से थका हुआ

एक ग्वाला जैसे सुनकर माँ की लोरी

पा ले स्वपन सलोना

प्यासी बैठ चकोरी

जैसे कोई जोगी घूँट घूँट

चांदनी से कर जाए कंठ तर

बाट देखता जैसे भटके कोई जुगनू

पा जाएं हर राहें देख के

चाँद सितारे शाम से

इंतजार रहता है कि

ढल जाए ये सूरज


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