मैं ज़िन्दगी के इस कड़वे घूंठ को अकेले ही पिया जाता हूँ। मैं ज़िन्दगी के इस कड़वे घूंठ को अकेले ही पिया जाता हूँ।
बाट देखता जैसे भटके कोई जुगनू बाट देखता जैसे भटके कोई जुगनू
चाय अब चाय नहीं दो घूँट जिंदगी की अमृत सरीखी हो गयी। चाय अब चाय नहीं दो घूँट जिंदगी की अमृत सरीखी हो गयी।
इस जग में पहचानिए ,छल-प्रपंच और झूठ, सचेत जो रहे नहीं तो लोग लेंगे तुमको लूट। इस जग में पहचानिए ,छल-प्रपंच और झूठ, सचेत जो रहे नहीं तो लोग लेंगे तुमको लूट।