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Amit Kori

Romance

3  

Amit Kori

Romance

अभी बाक़ी है

अभी बाक़ी है

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कुछ बातें तुम तक आकर रुक जाती है 

कहनी होती है पर चुप सी हो जाती है

बेवज़ह मशगूल, बेपरवाह सी हो जाती है 

क्योंकि बात पूरी नहीं अभी बाक़ी है। 


शामें अलहदा रंगीन सी हो जाती है 

रात की चमक आँखों की याद दिलाती है 

सुबह की अंगड़ाई मौसम का हाल जताती है 

क्योंकि बात पूरी नहीं अभी बाक़ी है।


मन में कविताओं की भरमार सी हो जाती है 

कागज़ कलम की मोहताज़ सी हो जाती है 

शब्दों की लड़खड़ाहट ज़ुबाँ पर आ जाती है

क्योंकि बात पूरी नहीं अभी बाक़ी है।


अजीब सा मज़ा है, कह कर चुप रह जानें में 

बात पूरी करने की ज़रूरत चेहरे से दिखाने में 

इन्हीं बातों की वो मुरीद सी हो जाती है 

क्योंकि बात पूरी नहीं अभी बाक़ी है।


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