सड़क अज़नबी
सड़क अज़नबी
लोगों के बीच ख़ाली थीं,
वो सड़कें कहीं न कहीं
मिलती थीं
अकेले में, शायद
और कहती थी
हम रह गए,
वो कह गए
बाढ़ ऐसी आयी,
के सब बह गए
कुछ समझा रहे थे,
कुछ फ़ुसला रहे थे
बात कुछ ऐसी थी, की
बात को छुपा रहे थे
कुछ कहना है तुम्हें, या
यूँ ही फुसफुसाओगे
कुछ बात भी करोगे, या
तुम भी चले जाओगे..