मैं जानता हूँ
मैं जानता हूँ
मैं भी कई कहानियाँ
जानता हूँ
चुप हूँ पर शब्दों से
बुलवाना जानता हूँ,
तुम क्या ? ऐसी तमाम
कविताएँ लिखी है हमने,
कुछ से हँसाना जानता हूँ,
तो कुछ से रुलाना जानता हूँ।
मैं भी कई कहानियाँ
जानता हूँ
चुप हूँ पर शब्दों से
बुलवाना जानता हूँ,
तुम क्या ? ऐसी तमाम
कविताएँ लिखी है हमने,
कुछ से हँसाना जानता हूँ,
तो कुछ से रुलाना जानता हूँ।