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Swati K

Classics

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Swati K

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कृष्णा :

कृष्णा :

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कान्हा तुम फिर से आओ ना

अपनी बांसुरी की धुन पे

गोपियों संग थिरकने आओ ना

अपनी लीलाओं का


दरश कराने आओ ना

अज्ञानी है भक्त तुम्हारे

ज्ञान की जोत जलाने आओ ना

हम हैं व्याकुल भक्त तुम्हारे


पीड़ा हरने आओ ना

माखन मिश्री की थाल सजी

तुम द्वार हमारे आओ ना

हर मां बैठी आंख बिछाये


कान्हा बनने आओ ना

बाट जोहते अंध भक्त जन

दर्शन देने आओ ना

कान्हा तुम फिर से आओ ना !


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